उत्तरप्रदेश – उत्तरप्रेदश में कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन करने के आरोप में प्रदेश में दर्ज लगभग सभी मुकदमे राज्य सरकार ने वापस ले लिए हैं. इनमें बड़ी संख्या में जमातियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे भी शामिल हैं. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में यह जानकारी दानिश व तीन अन्य जमातियों के मामले की सुनवाई के दौरान दी. दानिश के मामले में सरकार ने महामारी अधिनियम के साथ-साथ हत्या के प्रयास का भी मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में हाईकोर्ट से स्थगन आदेश था. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपी के खिलाफ धारा 307 आईपीसी कि विवेचना वापस ले ली गई है. इस पर हाईकोर्ट ने अभियोजन एजेंसी द्वारा अभियोग नहीं चलाने की स्थति में अभियोजन की कार्यवाही रद्द कर दी. मामले की सुनवाई जस्टिस अजय भनोट ने की.
सरकार ने कोर्ट मे दी ये जानकारी…
यूपी सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन में प्रदेशभर में 3 लाख 7 हज़ार से अधिक मुक़दमे दर्ज़ किए गए थे. इनमें से ज्यादातर महामारी अधिनियम के तहत मामले थे. इस संदर्भ में फरवरी 2021 में केंद्र सरकार की ओर से सर्कुलर जारी किया गया था कि अदालतों पर मुकदमों का बोझ पहले से ही बहुत ज्यादा है. ज्यादातर मुकदमे तीन साल तक की सजा वाले हैं. केंद्र सरकार ने मुक़दमे वापस लेने की मंशा जाहिर की थी.
हिंसा करने वालों पर शख्त पुलिस..
वहीं शुक्रवार को नमजा के बाद हो रही हिंसा पर यूपी सरकार मस्तैद है 3 जून कानपुर 10 प्रयागराज को बवाल के बाद यूपी के सभी जिलों में अलर्ट है। जुमे की नमाज के लिये पीएसी की 132 और आरएएफ की 10 कंपनी को तैनात किया गया है साथ ही ड्रोन से भी नजरें रखी जा रही हैं। कानपुर और प्रायगराज में भारी फोर्स लगाया गया है साथ ही उपद्रवियों पर सीसीटीवी से नजरें रखी जा रही हैं हांलाकि मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अपील नमाज के बाद किसी भी तरह की नारेबाजी ना की जाए और नमाज के बाद घर या कारोबार के लिये जाएं