डिजिटल पेमेंट सिस्टम यू.पी.आई लेनदेन करने वाले हो जाएं सावधान.. गूगल पे और फोन पे का एकाधिकार खत्म करने के लिए तय होगी भुगतान बाजार सीमा…
केंद्र सरकार पहले तो आमजन को डिजिटल होने के लिए प्रोत्साहन देती है।जब गूगल पे और फोन पे की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर करीब 80 फीसदी हो गई है।और इस माध्यम से लेनदेन बहुतायत में लोग करने लगते हैं तो फिर सरकार इन लेनदेनों को 30% तक सीमित करने के प्रावधान लाने लगती है।
आपको बता दें कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स द्वारा चलाई जाने वाली यू.पी.आई भुगतान सेवा के लिए कुल लेनदेन की सीमा को 30 फीसदी तक सीमित करने के फैसले पर भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है।
खत्म होगा गूगल पे और फोन पे का एकाधिकार…
ऐसा माना जा रहा है कि थर्ड पार्टी यू.पी.आई भुगतान सेवा के मामले में गूगल पे और फोन पे का एकाधिकार अगले महीने से खत्म हो सकता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम थर्ड पार्टी यू.पी.आई भुगतान सेवा के लिए कुल लेनदेन की सीमा को 30 फीसदी तक सीमित करने के फैसले पर आर.बी.आई से बात कर रहा है।भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम एन.पी.सी.आई इस फैसले को 31 दिसंबर से लागू करना चाहता है।दरअसल एकाधिकार के जोखिम से बचने को थर्ड पार्टी एप प्रदाताओं के लिए 30 फीसदी लेनदेन की सीमा तय करने का प्रस्ताव दिया गया है।सूत्रों के मुताबिक, एन.पी.सी.आई फिलहाल सभी संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहा है। 31 दिसंबर की समय-सीमा को बढ़ाने पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।लेकिन उम्मीद है कि इसी महीने इस फैसले पर मुहर लग सकती है।
कहीं निजी क्षेत्रों के प्रोत्साहन के लिए बाज़ार सीमा अवरोधक तो नही…उठने लगे सवाल
अब यहाँ बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि पहले तो डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया जाना और फिर उन कंपनियों के एकाधिकार को खत्म करने के लिए लेनदेन के लिए बाजार सीमा अवरोध लगाना कहीं निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोई कार्ययोजना तो नही है..?