गजब है : उत्तराखंड के इस जिले की पुलिस को भ्रष्टाचारी कहने पर हो गया 10 हजार का चालान ।
★यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है वरिष्ठ अधिवक्ता
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”
पिथौरागढ़:
पिथौरागढ़ बंदी ग्रह से भागने वाली नेपाल की युवती के मामले में अभी जांच चल रही है इस में लापरवाही बरतने वाले किसी भी जमीदार कर्मचारी पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है हालांकि युवती के भागने को लेकर पिथौरागढ़ पुलिस पर टिप्पणी करने वाले कारोबारी की जांच समाप्त कर पुलिस ने उनका 10 हजार का चालान भी काट दिया है साथ ही आगे सतर्क रहने की भी चेतावनी दी है ।पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार फेसबुक की एक पोस्ट पर बीते 10 अगस्त को मंजू जोशी की आईडी से टिप्पणी की गई जांच में पता चला कि यह टिप्पणी उनके पति लक्ष्मी दत्त जोशी ने की थी जोशी कारोबारी हैं और शहर के पुराने बाजार में उनका कारोबार है पोस्ट बंदी ग्रह से भागने वाली युवती को लेकर थी जोशी ने पोस्ट पर टिप्पणी के तौर पर लिखा कि पिथौरागढ़ पुलिस प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त है यह बात अगर पुलिस को नागवार गुजरी ।एसपी लोकेश्वर सैनी वरिष्ठ मदन सिंह बिष्ट को मामले की जांच सौंपी जांच के दौरान पुलिस ने व्यापारी और उसकी पत्नी को कोतवाली बुलाया लेकिन वह नहीं आये। 16 अगस्त को पुलिस ने व्यापारी को नोटिस जारी किया ।इसके बाद जोशी कोतवाली पहुंचे यहां पुलिस ने आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में आईपीसी की धारा 83 के तहत उनका 10 हजार का चालान कर दिया बाकायदा उनकी काउंसलिंग भी की और भविष्य में पुलिस के खिलाफ पैसा लिखने बोलने से पहले सोने की हिदायत तक दे डाली ।
लापरवाही पर जांच जारी टिप्पणी प्रचलन तुरंत:
6 अगस्त को पिथौरागढ़ में बंदी ग्रह से भागने वाली ज्योति के मामले में करीब 13 दिन बाद भी जांच जारी है हालांकि युवती को पुलिस ने बरामद कर लिया है अदालत से उसे सजा भी हो चुकी है लेकिन युवती किसकी लापरवाही या मिली भगत से भाग उन पर कार्रवाई अभी होनी है लेकिन उनसे पहले इस मिलीभगत में शामिल लोगों पर सवाल उठाने वाले कारोबारी पर पूछा गढ़ पुलिस में त्वरित कार्रवाई कर दी है । वही एसपी पिथौरागढ़ लेकिन लोकेश्वर सिंह ने बताया
कि बंदी ग्रह से नेपाल की युवती के भागने के मामले में जांच चल रही है अगर किसी कर्मी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ।
यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है अधिवक्ता: वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन सिंह नाथ कहते हैं यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है आलोचना तो जजों उनके फैसलों की भी होती है सरकार और प्रशासन की भी होती है व्यक्तिगत लांछन मानहानि की श्रेणी में आता है विभाग अथवा समूह के खिलाफ मामला नहीं बनता लोकतंत्र में आलोचना जनता और मीडिया का अधिकार है फिल्मों में तो पुलिस को अधिकतर भ्रष्ट ही बताया जाता है उपरोक्त मामले में लगाई गई धारा गलत है राज्य अर्थात पुलिस कार्यप्रणाली की आलोचना जनता कर सकती है ।