अंकिता हत्याकांड….क्या उत्तराखंड सरकार नहीं चाहती अंकिता हत्याकांडा की हो सीबीआई जांच…. फॉरेंसिक साक्ष्य के तौर पर एसआइटी के हाथ भी खाली कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल…. .

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नैनीताल – अंकिता भण्डारी हत्याकांड़ में सरकार ने जो रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की है उसमें एसआईटी ने कहा है कि फाँरेंसिक साक्ष्य नहीं मिला हैं साक्ष्य के नाम पर सिर्फ बैग और लाँकेट मिला है इस पर विपक्ष यानि याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए कि आरोपियों के मोबाइल भी एसआईटी कब्जे में नहीं ले सकी है। वहीं हाईकोर्ट ने अंकिता के माँ पिताजी की याचिका को सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आदेश दिया है कि अगर उनके पास कोई साक्ष्य हैं तो कोर्ट में दाखिल करें और सीबीआई जांच को लेकर दाखिल याचिका में अपना प्रतिशपथ पत्र दाखिल करें। सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकीलों ने बड़े सवाल सरकार और एसआईटी की जांच पर उठाए हैं। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अंकिता हत्याकांड़ के बाद क्राउड़ फंडिंग पर सरकार ने कोर्ट में कहा कि पैंसा एकत्र किया गया है जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा तो याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बैंक एकाउण्ट में 49 हजार रुपये आए थे जिसके बाद 1000 रुपये याचिकाकर्ता ने देकर 50 हजार उसके पिताजी को सौंप दिया है।

याचिका में ये है मांग..

दरअसल पौढी के आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की सीबीआई से जांच की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार इसे पहले सिर्फ एक आत्महत्या बताने की कोशिश में थी लेकिन मीडिया में आने मामला ठीक हो सका है। याचिका में कहा गया है कि अंकिता पर किसी वीआईपी के साथ शारिरिक संबन्ध बनाने और स्पेशल सर्विस देनी का दबाव डाला जा रहा था वो स्पेशल गेस्ट कौन था इसका पता नहीं चल सका है और क्राइम सीन को भी नष्ट किया गया है। याचिका में लोकल एमएलए रेनू बिष्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि उनकी मौजूदगी में क्राइम सीन नष्ट किया गया है। इसके अलावा याचिका में डीबीआर सीसीटीवी प्राप्त नहीं करना कुछ भी नहीं किया जा सका है लिहाजा इस मामले में सीबीआई जांच की जाए। पिछले दिनों याचिका में सुनवाई करते हुए सरकार और एसआईटी से रिपोर्ट मांगी थी आज हाईकोर्ट ने स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की जिसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार ने कहा कि उनको फाँरेंसिक जांच में कुछ नहीं मिला है और कोई भी फाँरेंसिंक साक्ष्य रिकवर करने में नाकाम रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हौने कोर्ट के सामने आपत्ति दर्ज की जिसके बाद कोर्ट ने उनसे इस पर कहा कि अगर कोई जांच के तथ्य उनके पास हैं तो वो 18 नवम्बर तक दाखिल करें। वहीं इस केस में वकील डीएस मेहता ने कहा कि वाट्सएप चैट और अन्य का साक्ष्य नहीं दाखिल की जो पब्लिक में साक्ष्य हैं उनको भी लाने में एसआईटी नाकाम रही है।