पुलिस गिरफ्तार कर रिमांड के लिए ले गयी आरोपी को, कोर्ट ने किया तत्काल रिहा* *पॉक्सो में बिना जमानत तुरंत रिहाई का पहला मामला*

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रामनगर में वीडियो चैट में फ़ोटो वायरल होने के मामले में रामनगर पुलिस द्वारा मुख्य आरोपी 18 वर्षीय युवक को आज पॉक्सो कोर्ट हल्द्वानी में रिमांड के लिए पेश किया। कोर्ट के सामने बचाव पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ताओं द्वारा रिमांड का घोर विरोध किया गया। अधिवक्ताओं का कहना था कि पुलिस ने गिरफ्तारी में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है और गिरफ्तारी से पहले अभियुक्त को कोई नोटिस नहीं दिया है। रिमांड के लिए पुलिस उप निरीक्षक द्वारा अभियुक्त को कोर्ट में पेश किया गया है जबकि आईटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इस मामले में इंस्पेक्टर रैंक से नीचे का अधिकारी ना तो जांच कर सकता है न हीं रिमांड मांग सकता है। साथ ही जिस दौरान की यह चैट है उसे वक्त आरोपी भी नाबालिक था, फोटो उसके द्वारा अपने मोबाइल से वायरल नहीं किया गया बल्कि स्वयं पीड़िता द्वारा तब किशोरवय के रोमांस में भेजा गया था। बाद में जिसने अभियुक्त के मोबाइल से फोटो की फोटो खींची उन पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बचाव पक्ष की ओर से अभियुक्त की पैरवी करते हुए अधिवक्ता दुष्यंत मैंनाली और अंशुल लोशाली द्वारा अभियुक्त के मौलिक अधिकार और इस बात का भी हवाला दिया गया कि पुलिस ने गिरफ्तारी में जल्दबाजी की है क्योंकि पुलिस के पास मोबाइल के रूप में साक्ष्य मौजूद था और अभियुक्त की देश से भागने की कोई आशंका नहीं थी, और लगाई गई धाराओं में 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है ऐसे में अभियुक्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार बयान के लिए नोटिस दिया जाना चाहिए था। बचाव पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि अभियुक्त की अगले सप्ताह से परीक्षाएं हैं और ऐसे में उसे अविधिक रूप से गिरफ्तार कर जेल में खूंखार अपराधियों के साथ रखकर उसके भविष्य के साथ अन्याय होगा। कोर्ट में चली लंबी बहस के बाद विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह की अदालत ने पुलिस द्वारा गलत तरीके से गिरफ्तारी किए जाने के आधार पर अभियुक्त को तुरंत अभिरक्षा से छोड़ने के आदेश दिये, इसके बाद अभियुक्त को उसके अभिभावकों की सुपुर्दगी की में कोर्ट से ही छोड़ दिया गया और पुलिस द्वारा पेश रिमांड प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया।