नैनीताल – राज्य में सरकारी जमीनों पर कब्जे जैसे बेनाप जमीनों पर अवैध निर्माण के साथ पट्टे और खाम भूमि वाले अतिक्रमणकारियों की मुश्किलें बढ सकती हैं..इन सरकारी जमीनों पर कब्जे पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कैसे 1998 का आदेश है जिसमें बेनाप जमीन को फारेस्ट लैंड़ घोषित किया है और 2011 में सरकार ने उसको वापस ले लिया था और 2017 में हाईकोर्ट ने इस आदेश को निरस्त दिया उसमें कैसे निर्माण हो रहा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी 2011 के नोटिफिकेशन को आज भी लागू किया जा रहा है। इसके साथ ही राज्य में हाईवे जिला मार्ग वन भूमि और सड़कों के किनारे अतिक्रमण हटाने के लिये हाईकोर्ट ने जिला स्तरीय काँडिनेशन कमेटी बनाने के आदेश दिया है जो हर महिने अतिक्रमण पर निर्णय लेकर कार्रवाई करेंगी। इस कमेटी में वन सिचाई लोक निर्माण विभाग समेत सभी विभागों के लोग शामिल रहेंगे। हाईकोर्ट राज्य में सड़क नदी और वन भूमि में अतिक्रमण मामले पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आज कई विभागों द्वारा अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की है.. लेकिन विभागों के तालमेल नहीं होने से अतिक्रमण हटाने में दिक्कतें आ रही हैं। दरअसल नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में वन भूमि सड़क किनारे और नदियों के आस पार अतिक्रमण पर एक पत्र का संज्ञान लिया है और इन अतिक्रणकारियों से जमीन को खाली करने का आदेश दिया है..अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि कई विभागों ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है जिसके बाद उन्हौने भी न्यायमित्र होने के नाते अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिसमें बताया सरकारी जमीन बेनाप जमीनों पर भी कब्जा है जब्कि 1998 का जीओ है कि ये सभी जमीन रक्षित वन घोषित किया था आज भी इन जमीनों पर निर्माण की छूट दी जा रही है..कोर्ट ने सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है कि कैसे इन जमीनों पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद काम की छूट दी जा रही है।