नैनीताल – राज्य में 25 दिसंबर तक निकाय चुनाव हो जाएंगे..राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा है कि दिसंबर महिने में चुनाव पूरे हो जायेंगे..कोर्ट ने पिछली तारिख को पूछा था कि कब तक राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति हो जाएगी और कब चुनाव होंगें..सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि 10 नवम्बर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जायेगी जिसके बाद चुनाव पूरे करा दिये जायेगें..
हाईकोर्ट में दाखिल चुनावी कार्यक्रम में सरकार ने कहा है कि ओबीसी एसटी एससी का आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत 30 सितंबर तक पूरा कर लिया जायेगा और 31 को शहरी निकायों में आरक्षण को अंतिम रुप दे देंगे जिसके बाद 10 नवम्बर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी..इसमें चुनाव कराने के साथ 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन तक चुनाव पूरे कर लिये जायेंगे..
शुक्रवार को मामला हाईकोर्ट में आया तो याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में राज्य में संवैधानिक व्यस्था के फेल होने का हवाला दिया और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कोर्ट के सामने रखी..याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेन्द्र चौधरी ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का आदेश है किशन सिंह तोमर बनाम नगर निगम अहमदाबाद का जिसमें स्पष्ट कहा है कि चुनाव किसी भी किमत पर टाला नहीं जा सकता है और निकायों के कार्यकाल खत्म होने से पहले सभी तैयारियां कर लेनी हैं..इस दौरान कोर्ट में तर्क रखा है कि इस बेंच का आदेश है कि आपके पास जो परिसीमन आरक्षण मतदाता सूची है उसी आधार पर चुनाव कराने होंगे..जब्कि अगर दैवीय आपदा दंगे खराब कानून व्यवस्था चल रही है तो उसी इलाके में चुनावों को रोका जा सकता है.हांलाकि कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और सरकार द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव कराने की छूट राज्य सरकार को दे दी है। वहीं अधिवक्ता डी के जोशी ने कहा कि संवैधानिक संकट राज्य पर है और सरकार इसका पालन कराने में नाकाम रही है..तीन बार सरकार ने चुनाव कराने की बात कोर्ट में कही है लेकिन संवैधानिक प्रक्रिया के बाद भी प्रशासकों को बैठाए रखा अब जो पिछला आदेश प्रशासकों के लिये है उसमें अनंतकाल के लिये इनको नियुक्ति दी है वो कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करें।
आपको बतादें कि राज्य में 2 दिसंबर 2023 को निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया जिसके बाद प्रशासकों की नियुक्ति सरकार ने कर दी जिसके बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हुई तो सरकार ने 2 जून तक चुनाव कराने की बात कही हांलाकि इसके बाद भी चुनाव सरकार नहीं करा सकी और प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो गया और फिर प्रशासकों के हवाले नगर निकायों को कर दिया गया..