नैनीताल – दुग्ध संघ का अध्यक्ष मुकेश बोरा पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। हाईकोर्ट ने मुकेश बोरा की गिरफ्तारी पर लगाई रोक को हटा दिया है और सरकार से पूरे मामले में 17 दिसंबर तक जवाब फाइल करने को कहा है..गिरफ्तारी से रोक हटाने का पूरा आदेश कोर्ट ने जारी कर दिया है हांलाकि पिछले दिनों कोर्ट मुकेश बोरा को फौरी राहत जरुर दी थी और उनकी गिरफ्तारी पर 4 दिनों के लिये रोक लगा दी दी और कहा था कि वो अल्मोड़ा कोतवाली में रोजाना पेशी पर जाएंगे। बुधवार का जारी आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश है कि हाईकोर्ट की पावर से जांच में बाधा पहुंच रही है तो उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है..आरोपी पर गम्भीर आरोप हैं उसकी अभिरक्षा की जरुरत है ऐसे में जांच में बाधा आ सकती है..कोर्ट ने कहा है कि आरोपी याचिकाकर्ता इस स्तर पर किसी भी अंतरिम संरक्षण का हकदार नहीं है जिसके चलते 18 सितंबर का स्थगन आदेश को अस्वीकार किया जाता है
दरअसल दुग्ध संघ में ही काम करने वाली एक महिला ने 1 सितंबर 2024 को मुकेश बोरा के खिलाफ बलात्काल का मामला दर्ज किया है जिसके बाद एक नाबालिक की ओर से भी यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज हुआ..इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तो मुकेश बोरा ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत के लिये याचिका दाखिल की लेकिन इस बीच अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई तो मुकेश बोरा ने हाईकोर्ट की सरण ली और गिरफ्तारी से रोक और एफआईआर निरस्त की मांग कोर्ट के सामने रखी। सुनवाई के दौरान मुकेश बोरा के वकीलों ने मुकेश बोरा पर लगे आरोपों को गलत बताया और 2021 के मामले में 2024 में एफआईआर दर्ज करने की बात कही..कोर्ट के सामने मुकेश बोरा के अधिवक्ताओं ने कहा कि ये उनको राजनैतिक तौर पर फंसाने का प्रयास किया जा रहा है और उनको अग्रिम जमानत ना मिले इसके लिये पाँक्सो एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया गया जो सोची समझी है..वहीं सरकार ने कोर्ट को बताया कि मुकेश बोरा पर गम्भीर आरोप हैं जांच के लिये उनकी गिरफ्तारी जरुरी है अगर मुकेश बोरा बाहर रहता है तो वो सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है और लोगों को धमकाकर अपने पक्ष में करने की कोशिश कर सकता है..सरकार ने कोर्ट में कहा कि जो आरोप लगे हैं उसमें होटल और रजिस्टर में एंट्री मिली है और जांच जारी है अगर