नैनीताल – विधानसभा से लेकर लोकसभा और पंचायतों के जब भी चुनाव होते हैं तो ओखलकांड़ा ऐसा ब्लाक है जहां सबसे ज्यादा नेता सक्रिय रहते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता गायब तो अधिकारी भी काम से दूर भाग जाते हैं। इसी लिये कई गांव के लोग ओखलकांड़ा को कालापानी कहते हैं क्योंकि यहां सुविधाओं के अभाव में महिला और बच्चा दम तोड़ रहे हैं तो सड़कें खराब होने से स्थानीय लोग परेशान हैं हांलाकि सरकार और सिस्टम से हार चुके गांव के लोग अब सरकारी मदद की आस भी धूमिल पढने लगी है।
सड़क ठीक करने की मांग लेकिन अब खुद शुरु किया श्रमदान….
दरअसल ओखलकांड़ा के ग्रामीण लम्बे समय से छिड़ाखान – अमजड़ रीठा साहिब मोटर मार्ग को ठीक करने की मांग कर रहे हैं वो भी तब जब मुख्यमंत्री ने सड़कों की हालत पर नैनीताल जिले के अधिकारियों को जमकर हल्द्वानी में पिछले दिनों लताड़ लगाई थी। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक अपनी समस्या बता चुके ग्रामीण इतना परेशान हो गये हैं कि उन्हौने खुद ही सड़क को ठीक करने का निर्णय ले लिये इसके लिये बकायदा 8 दिनों से ग्रामीण श्रमदान कर रहे हैं. कहीं पत्थर हटा रहे हैं तो सड़कों पर आई झाडियों को खुद ही गांव के लोग काट रहे हैं।.2008 में बनी इस सड़क में कई बार हादसे भी हो गये हैं और कई लोगों की मौत होने के बाद भी सरकारी अधिकारी अब भी इन गांव के लोगों की सुनवाई नहीं की है। गजब की बात ये है कि इन सड़कों के मुद्दे पर ही विधायक ने भी वोट मांगे थे लेकिन अब वो भी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं। नैनीताल जिले के दूरस्थ क्षेत्र ओखलकांडा ब्लॉक के 26 किलोमीटर लम्बे मुख्य ग्रामीण सड़क छिड़ाखान – अमजड़ रीठा साहिब मोटर मार्ग की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है और लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीण ललित मोहन कहते है कि सड़क की दुर्दसा देखकर खुद ही आगे आना पड़ा है हम रातदिन इस सड़क से चलते हैं इस लिये खुद काम कर रहे हैं चंदा लेकर क्योंकि सरकार काम ही नहीं कर रही है। यात्री हरीश कहते हैं कि यहां सड़क की हालत ये है कि छिड़ाखान के बाद सड़क पर चलने में डर होती है किससे कहें कोई सुनने वाला है वोटों के टाइम में सब कहते हैं कैड़ा जी को सपोर्ट किया विधायक बने अब अनदेखी कर रहे हैं। वहीं कमल शर्मा कहते हैं कि 2008 में सड़क बनी लेकिन सड़क गुणवत्ता के चलते उसी दौरान खराब हो गई पिछले सालों में इस सड़क में मैक्स गाड़ी गिरी 5 लोगों की मौत हो गई 10 दिनों से काम कर रहे हैं स्थानीय लोगों की मदद से काम हो रहा है जिसमें हर वर्ग के लोग हैं यहां से सीएम धामी की विधानसभा भी नजदीक है..इस क्षेत्र को देखना चाहिये।
ओखलकांडा में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
सिर्फ सड़कों का ही नहीं बल्कि ओखलकांड़ा में अस्पताल की हालत भी खराब है यहां बीते रोज ही डालकन्या में महिला और उसके नवजात शिशु की मौत हो गई..डिलीवरी के दौरान हुई दोनों की मौत के बाद अब स्थानीय लोगों में रोष है तो ग्रामीणों ने आज नैनीताल में स्वास्थ्य विभाग के कार्याल का भी घेराव किया है। इस दौरान ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में धरना दिया है और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा 10 गांव के लिये बने अस्पताल में सुविधाओं का अभाव होने के साथ कर्मचारी भी तैनात नहीं हैं जिसका खामियांजा महिला और उसके बच्चे को उठाना पड़ा है। इन लोगों ने पीडित परिवार को 5 लाख का मुआवजा देने के साथ अस्पताल में सुविधाओं की पूर्ति करने की मांग सरकार से की है। आपको बतादें कि बीते रोज ओखाकांड़ा के डालकन्या में डिलीवरी के दौरान महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई थी जिसके बाद अब ग्रामीण उर्ग हैं। वहीं ग्रामीण हरीश पनेरु ने कहा कि ओखलकांड़ा विकासखण्ड में महिला की मौत दुखत घटना है और हम गुहार लगाने आए हैं और गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हो..हरीश ने कहा कि ओखलकांडा में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बत्तर हैं कहीं डाक्टर नहीं तो कही दवा ही नहीं और टेलिमेडिसन की हालत भी बिमार ही है पेड़ दर्द की दवा तक नहीं है और विधायक जनता को गुमराह करके चुनाव जीते हैं अब जनता समझ गई है जनता सड़कों पर आयेगी इस अत्याचार के खिलाफ जंग लड़ेंगे। वहीं स्वास्थ्य विभाग एडी हैल्थ तारा आर्या ने कहा कि घर पर ही डिलीवरी हुई है खेद है एएनएम ने कराई है जिसकी सूचना ली जायेगी जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
सिर्फ स्वास्थ्य और सड़क ही नहीं बल्कि ओखलकांडा में पानी और अन्य सुविधाओं का भी अभाव हैं यहां आए दिन नये नये मामले सोशल मीडिया पर भी उजागर होते रहते हैं तो कई बार गांव के लोगों ने इलाके में शराब के कारोबार पर भी सवाल उठाए हैं हांलाकि विधायक से भी कई गांव के लोग नाराज ही दिखते हैं कहते हैं कि उनके दावे के मुताबिक कुछ भी काम इस इलाके में नहीं हो सका है।