सावधान आपके गांव में पुलिस देने जा रही है दस्तक……..60 फीसदी इलाकों से हो जाएगी पटवारी पुलिस खत्म… थाने चौकियों के करें अब फरियाद

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उत्तराखण्ड – प्रदेश में राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने की शुरुआत हो गई है जिसके लिये अधिसूचना भी जारी हो गई है। पहले चरण में 1800 राजस्व गांवों को रेगुलर पुलिस में शामिल कर दिया गया है..इन गांव में 52 थाने और 19 पुलिस चौकिंयों को खोला जा रहा है..पहले फेज की सफलता के बाद दूसरे चरण में राज्य के 1444 राजस्व गांवों को भी रेगुलर पुलिस में शामिल कर दिया जायेगा जिसमें 6 थाने और 20 चौकियां खोली जानी प्रस्तावित हैं। राजस्व पुलिस की खत्म हो रही व्यवस्था पर राज्य में पटवारी राज भी खत्म हो जायेगा और पूरी कानून व्यवस्था रेगुलर पुलिस के हवाले हो जायेगी।

हाईकोर्ट का आदेश और अंकिता हत्याकांड़ के बाद सरकार की पहल..

दरअसल 1861 से राज्य में चली आ रही पटवारी व्यवस्था को उत्तराखण्ड़ हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा की कोर्ट ने साल 2018 में राज्य में पटवारी सिस्टम पर सवाल उठाते हुए इसको खत्म करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था..और सिविल पुलिस को राज्य में लागू करने का आदेश दिया था। हांलाकि सरकार सुप्रीम कोर्ट तो गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी। हांलाकि राज्य में हुए अंकिता भण्डारी हत्या के बाद राजस्व पुलिस पर फिर उठे सवाल के बाद राज्य में फिर पटवारी सिस्टम खत्म करने की मांग उठी तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी इस हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग दाखिल की गई वहीं सरकार ने कोर्ट में कहा कि वो इस पटवारी सिस्टम को खत्म करने के लिये योजना तैयार कर रहे हैं।

उत्तराखंड के 60 प्रतिशत इलाकों में पटवारी थे मालिक

उत्तराखंड के करीब 60 फीसदी इलाकों में राजस्व पुलिसिंग व्यवस्था ही लागू थी । राज्य में राजस्व पुलिस के प्रभाव क्षेत्र पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि प्रदेश के 7500 गांव राजस्व पुलिस के दायरे में आते हैं। अब पहले चरण में सरकार की ओर से से 1800 से अधिक गांवों को सिविल पुलिस के दायरे में लाने की योजना तैयार की गई है। इसके बाद अगले चरणों में अन्य गांवों में भी सिविल पुलिस की तैनाती होगी। दावा अगले दो से तीन साल में राजस्व पुलिस सिस्टम से प्रदेश को मुक्त करने का है।

किस्सा ये भी थे पटवारी के

दरअसल ग्रामीण इलाकों में पटवारी को सबसे बड़ा अफसर लोग मानते थे हर काम के लिए लोग उसी के पास जाते थे..बुजुर्ग किस्सा बताते हैं कि एक बार किसी गावँ में जिले का सबसे बड़ा अधिकारी डीएम गया और एक बुजुर्ग महिला ने उनको अपनी समस्या बताई और कहा कि कोई नहीं सुनता उसी वक्त डीएम ने महिला के समस्या का समाधान कर दिया जिसके बाद बुजुर्ग महिला ने डीएम को आर्शीवाद दिया जा तू पटवारी बन जै…

ऐसे ही कई किस्से पहाड़ में पटवारी और उसके सैकेट्री सटवारी के आये दिन सुनाई देते हैं