नैनीताल – कैंचीधाम देश ही नहीं बल्कि दुनियां के लोगों के लिये आस्था का केन्द्र है..बाबा नीब करौरी की चमत्कारों की किस्से इतने आम हैं कि हर कोई बाबा से मिलने यहां पहुंचता है..लेकिन अब बाबा नीब करौरी की पहली बायोपिक सामने आई है..नैनीताल की डाँ कुसुम शर्मा ने अपनी किताब नीब करौरी बाबा कथामृत में बाबा के सम्पूर्ण जीवन को उतारा है..डा0 कुसुम की इस किताब का विमोचन नैनीताल के हनुमानगढी के उसी मंदिर में हुआ जहां बाबा नीब करौरी सबसे पहले आकर रुके थे..
सोमवार को नीब करौरी महाराज जी धाम हनुमानगढ में किताब का विमोचन हुआ..एक समारोह के दौरान हनुमानगढी के प्रबंधक एम पी सिंह ने बाबा की बायोपिक की लेखिका कुसुम शर्मा और उनके पति राजेश शर्मा के साथ मिलकर किया..इस दौरान नैनीताल शहर के कई समाजिक लोग मौजूद रहे..इस दौरान बताया गया कि इस बायोपिक में बाबा के पूरे जीवन को उजागर करने का प्रयास किया गया है और नीब करौरी महाराज की शिक्षा और तपस्या काल को भी लिखा गया है..
बाबा नीब करौरी बायोपिक किताब के कुछ अंश…..
कुसुम शर्मा द्वारा लिखी इस कथामृत में उनके साथ क्या क्या घटा और कहां सबसे पहले नैनीताल में बाबा आए सभी का वर्णन किया गया है..बाबा के लक्ष्मीनारायण से लेकर बाबा नीब करौरी तक के सफर पर प्रकाश डाला गया है..कुसुम शर्मा ने इस किताब को तीन साल की मेहनत के और बाबा नीब करौरी की बेटी गिरिजा भटेले के सहयोग से लिखा है..इसमें कई ऐसे पहलुओं को दर्शाया गया है जिसकी जानकारी भी कम ही लोगों को है..किताब के कुछ अंश है जिसमें लिखा गया है कि बाबा का बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था और एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया..बचपन की शिक्षा अकबरपुर गांव के प्राइमरी पाठशाला में हुई तो कभी बनारस में भी पढाई की है..
महज 10 साल की उर्म में लक्ष्मीनारायण का विवाह हो गया लेकिन विवाह के कुछ ही साल बाद बाबा घर छोड़ जंगलों में तपस्या करने लगे..तप पूरा कर 11 साल बाद बाबा फिर घर लौटे और गृहस्त में रहे..जंगलों और कंदराओं में तपस्या के दौरान बाबा की कई पहचान थी कोई बाबा को लक्ष्मण दास के तौर पर जानता था तो कोई हांड़ी वाले बाबा कोई तलैय्या वाले बाबा किसी ने बाबा को चमत्कारी बाबा के तौर पर पहचान दी..लेकिन तपस्या साधना जिस गांव से अलख जगी उसके बाद लक्ष्मी नारायण से बाबा नीब करौरी महाराज सर्व प्रिय हो गये..हांलाकि इसके बाद उनके कई चमत्कारों के किस्से भी हैं। नैनीताल में सबसे पहले बाबा हनुमानगढी में पहुंचे जिसके बाद भूमियाधार में बाबा कुछ दिन रहे जिसके बाद कैंचीधाम या अन्य स्थानों की यात्रा का भी इस किताब में वर्णन किया गया है।
बाबा नीब करौरी की अनुयायी कुसुम शर्मा कहती हैं कि जन्म से लेकर महाराज जी के आध्यात्म तपस्या में जाने के साथ तपस्या और गृहस्त जीवन को एक साथ जीवन के अंतिम चरण तक लेकर गए और संदेश लोगों को देते रहे..वहीं पुस्तक विमोचन के दौरान हनुमान गढ के प्रबंधक एम पी सिंह ने कहा कि बाबा को समझ पाना कोई आसान काम नहीं है महाराज के रुप को कोई नहीं जान पाया वो हैं क्या..जिसको जिस रुप में दिखे उस रुप में लोगों ने उनका आंकलन किया है। महाराज का ना शुरु है ना ही अंत है..किताब लिख देना ही काफी नहीं है उसको महाराज का आर्शिवाद मिलना भी है अगर ये लिखा गया है तो ये भी महाराज की ही लीला उनकी इच्छा थी इसी लिये किताब पूरी हो सकी है..
बाबा की इस पहली बायोपिक के विमोचन के दौरान प्रबंधक हनुमानगढी एम पी सिंह के साथ लेखिका कुसुम शर्मा,राजेश शर्मा,हाईकोर्ट के पूर्व बार एसोसिएशन सचिव कमलेश तिवाड़ी,निवर्तमान सचिव सौरभ अधिकारी,कान्हा साह,ललित शर्मा,मानव शर्मा,विजयपाल सिंह समेत कई बाबा के अनुयायी मौजूद रहे..