उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यू.जी.सी मानकों के विरुद्ध आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून में नियुक्त कुलपति को हटाने का दिया आदेश..प्रो0 अरुण कुमार त्रिपाठी को दी गई नई नियुक्ति…
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध कुलपति की नियुक्ति के मामले में उच्च न्यायालय ने कड़ा फैसला दिया है।उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने बुधवार को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी की नियुक्ति नियम विरुद्ध करार देते हुए पद से हटाने का आदेश पारित किया।इस खंडपीठ ने वैसे मामले में 15 जून को ही सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था।आपको बता दें कि डॉ. सुनील जोशी की करीब पांच वर्ष पहले नियुक्ति हुई थी।और इसी माह उनका कार्यकाल भी पूरा हो रहा है।
कुलपति पद की निर्धारित योग्यता नहीं रखते थे डॉ. सुनील जोशी…-विनोद चौहान याचिकाकर्ता
ज्ञात रहे कि हरिद्वार निवासी विनोद चौहान ने हाई कोर्ट में डॉ. सुनील जोशी की कुलपति पद पर नियुक्ति को चुनौती दी थी।उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि डॉ. सुनील जोशी का प्रोफेसर पद पर 10 वर्ष का अनुभव नहीं है।जबकि यू.जी.सी मानकों के अनुसार कुलपति पद के लिए कम से कम 10 वर्ष प्रोफेसर का अनुभव अनिवार्य होता है। इसलिये डॉ. सुनील जोशी के पास कुलपति पद की निर्धारित योग्यता नहीं है।इस पूरे प्रकरण की हाई कोर्ट की सयुंक्त खंडपीठ ने सुनवाई कर डॉ. सुनील जोशी को पद से हटाए जाने का आदेश निर्गत किया।जिस पर फौरी कार्यवाही करते हुए राज्यपाल उत्तराखंड ने डॉ. सुनील जोशी को पद से हटाकर नियमित नियुक्ति तक गुरुकुल के प्रो0 अरुण कुमार त्रिपाठी को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति का अंतरिम चार्ज सौंप दिया है।